ये कहानी कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन विजयंत थापर की है, जिन्होंने अपने आखिरी खत में ये लिखा था कि 'अगले जन्म में अगर मैं फिर इंसान बनता हूं, तो दोबारा सेना में भर्ती होकर देश के लिए लड़ूंगा.' भारतीय सेना ने देश की सुरक्षा और बेहतर कल के लिए न जाने कितनी लड़ाई लड़ी. सरहद पर तैनात भारतीय सेना के वीर सपूतों की बदौलत ही देश के नागरिक अपने घरों में चैन की नींद सो पाते हैं. “अगर आप आ सकते हैं तो कृपया आकर देखें कि भारतीय सेना ने आपके कल के लिए कहां लड़ाई लड़ी” ये शब्द कारगिल की जंग में शहीद हुए कैप्टन विजयंत थापर, वीरचक्र (पी) के हैं. उनके पिता कर्नल वी एन थापर (सेवानिवृत्त) हर साल द्रास की तीर्थयात्रा करते हैं, जहां उनके बेटे, कैप्टन विजयंत थापर ने कारगिल युद्ध में नोल पर कब्जा करने के दौरान अंतिम बलिदान दिया था.